ऋग्वेद - Rigved
ऋरग्वेद को दो प्रकार से बाँटा गया है। प्रथम प्रकार में इसे १० मण्डलों में विभाजित किया गया है। मण्डलों को सूक्तों में, सूक्त में कुछ ऋचाएं होती हैं। कुल ऋचाएं १०५२० हैं। दूसरे प्रकार से ऋग्वेद में ६४ अध्याय हैं। आठ-आठ अध्यायों को मिलाकर एक अष्टक बनाया गया है। ऐसे कुल आठ अष्टक हैं। फिर प्रत्येक अध्याय को वर्गों में विभाजित किया गया है। वर्गों की संख्या भिन्न- भिन्न अध्यायों में भिन्न भिन्न ही है। कुल वर्ग संख्या २०२४ है । प्रत्येक वर्ग में कुछ मंत्र होते हैं। सृष्टि के अनेक रहस्यों का इनमें उद्धाटन किया गया है। पहले इसकी २१ शाखाएं थीं परन्तु वर्तमान में इसकी शाकल शाखा का ही प्रचार है।
कुछ प्रमुख बाते .........
ऋग्वेद के कई सूक्तों में विभिन्न वैदिक देवताओं की स्तुति करने वाले मंत्र हैं। यद्यपि ऋग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्तोत्रों की प्रधानता है।
Short description .......
The Rigveda is divided into two types. In the first type it is divided into 10 circles. Circles contain some hymns in Suktas, Suktas. Total hymns are 10520. The Rigveda has 4 chapters in another way. An octave is composed of eight chapters each. There are eight such octaves in total. Each chapter is then divided into sections. The number of classes is different in different chapters. The total class number is 2024. Each class has some mantras. Many mysteries of the universe have been revealed in them. Earlier it had 21 branches, but currently its branch branch is only promoted.
Some important things ………
Many Suktas of the Rigveda have mantras praising various Vedic deities. Although there are other types of Suktas in the Rigveda, the hymns praising the deities are predominant.
There are a total of ten circles in the Rig Veda and there are 1024 suktas in them and a total of 10,540 verses. Some of these circles are small and some are large.
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