सामवेद
यह गेय ग्रन्थ है। इसमें गान विद्या का भण्डार है, यह भारतीय सगीत का मूल है। ऋचाओ के गायन को ही साम कहते हैं। इसकी १००१ शाखाएं थीं। परन्तु आजकल तीन ही प्रचलित हैं - कोथुमीय, जैमिनीय और राणायनीय। इसको पूर्वार्चिक और उत्तरार्चिक में बाटा गया है। पूर्वार्चिक में चार काण्ड हैं - आग्रेय काण्ड, ऐन्द्र काण्ड, पवमान काण्ड और आरण्य काण्ड। चारो काण्डो में कुल ६४० मंत्र हैं। फिर महानाम्न्यार्चिक के १० मंत्र हैं। हस प्रकार पूर्वार्चिक में कुल ६५০ मंत्र हैं। छः प्रपाठक हैं। उत्तरार्चिक को २१ अध्यायों में बांटा गया। नौ प्रपाठक हैं। इसमें कुल १२२५ मंत्र हैं।
इस प्रकार सामवेद में कुल १८७५ मंत्र हैं। इसमें अधिकतर मंत्र ऋरवेद से लिए गए है। इसे उपासना का प्रवर्तक भी कहा जा सकता है।
प्राचीन आयों द्वारा साम-गान किया जाता था। सामवेद चारो वेदो में आकार की दष्टि से सबसे छोटा है और इसके १८७५ मन्त्रों में से ६२ को छोड़ कर सभी ऋगवेद के है। केवल १७ मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फ़िर भी इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है, जिसका एक कारण गीता में कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहना भी है। सामवेद यद्यपि छोटा है परन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है और सभी वेदों के चुने हुए अंश इसमें शामिल किये गये है। सामवेद संहिता में जो १८७५ मन्त्र हैं, उनमें से १५०४ मन्त्र
कवेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं, आर्चिक और गान। पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे सामवेद की एक सहस्त्र शाखाओ के होने की जानकारी मिलती है। वर्तमान में प्रपंच हृदय, दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर १३ शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं- (१) कौमुथीय, (२)राणायनीय और (३) जैमिनीय।
कुछ प्रमुख बाते .......
सामवेद से तात्पर्य है कि वह ग्रन्थ जिसके मन्त्र गाये जा सकते हैं और जो संगीतमय हों। यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के समय ये मन्त्र गाये जाते हैं। सामवेद में मूल रूप से ९९ मन्त्र हैं और शेष ऋग्वेद से लिये गये हैं। इसमें यज्ञानुष्ठान के उद्गातृवर्ग के उपयोगी मन्त्रों का संकलन है। इसका नाम सामवेद इसलिये पड़ा है कि इसमें गायन-पद्धति के निश्चित मन्त्र ही हैं इसके अधिकाश मन्त्र ऋग्वेद में उपलब्ध होते हैं, कुछ मन्त्र स्वतन्त्र भी हैं। सामवेद में ऋग्वेद की कुछ ऋचाएं आकलित
है। वेद के उद्गाता, गायन करने वाले जो कि सामग (साम गान करने वाले) कहलाते थे। उन्होंने वेदगान में केवल तीन स्वरो के प्रयोग का उल्लेख किया है जो उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित कहलाते हैं।
सामगान व्यावहारिक संगीत था। उसका विस्तृत विवरण उपलब्ध नहीं हैं। वैदिक काल में बहुविध वाद्य यंत्रों का उल्लेख मिलता है जिनमें से तंतु वाद्यों में कन्नड़ वीणा, कर्करी और वीणा, चन वाद्य यंत्र के अंतर्गत दुरदुभि, आडंबर, वनस्पति तथा सुषिर यत्र के अंतर्गतः तुरभ, नादी तथा बंकुरा आदि यंत्र विशेष उल्लेखनीय हैं।
Click here to download Saamveda pdf |
Short Description........
This is the lyrical book. It has a repository of singing, it is the origin of the Indian music. The singing of Richao is called Sama. It had 101 branches. But nowadays only three are prevalent - Kothumiya, Jaiminiya and Ranayaniya. It is divided into anterior and posterior. There are four scandals in the Purvartik - Agrarian scandal, Andra scandal, Powman scandal and Aranya scandal. There are a total of 40 mantras in all the four condos. Then there are 10 mantras of Mahanamanyarchik. There are a total of 658 mantras in this type of predicament. There are six readers. Uttarachik is divided into 21 chapters. There are nine readers. It has a total of 1225 spells.
Thus the Samaveda has a total of 175 mantras. Most of the mantras in it have been taken from Rirveda. It can also be called the originator of worship.
The ancient Aayans used to sing and sing. The Samaveda is the smallest of the four Vedos in terms of size and all of the Rigveda except 42 out of its 175 mantras. Only 14 mantras are found of Atharvaveda and Yajurveda. Nevertheless, it has the highest reputation, one of the reasons for this is to say Vedanam Samaveedosmi by Krishna in the Gita. Although the Samaveda is small but in a way it is the essence of all the Vedas and selected portions of all the Vedas are included in it. Of the 175 mantras in the Samaveda Samhita, 1504 mantras
Belongs to Kaveda only. The Samaveda Samhita has two parts, the archic and the anthem. From the description found in the Puranas, it is known that there is a thousand branches of Samaveda. At present, 13 branches are found on looking at Prapancha Hridaya, Divyavadaan, Charanvayuh and Jaimini Grihasura. Out of these thirteen, the branches of three Acharyas are found - (1) Kaumuthiya, (2) Ranayani and (3) Jaiminiya.
Some important things .......
Samaveda means that the texts whose mantras can be sung and which are musical. These mantras are sung at the time of Yajna, Ritual and Havan. There are basically 7 mantras in the Samaveda and the rest are derived from the Rigveda. It has a compilation of useful mantras of the inauguration of Yajnishthan. It is named Samaveda because it has only fixed chants of singing method, most of its mantras are available in the Rigveda, some mantras are also independent. Some verses of the Rigveda are estimated in the Samaveda
The Vedas of the Vedas, the singers who were called Samagas (vocalists). He mentions the use of only three vowels in the Vedagan which are called Sublime, Anudatta and Swaritha.
The music was practical music. Detailed details are not available. In the Vedic period, there are references to multiple instruments, among which the instruments of Kannada Veena, Karkari and Veena, Durdubhi, Adambar, Vanaspati and Sushir Yatra under the instrumental instruments: Turbh, Nadi and Bankura are notable.
0 comments:
Post a Comment
Any queries or doubts let us know